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बुधवार, 15 जून 2011

बाबा और अन्ना जिद्दी बच्चे

अन्ना कभी लोकपाल बिल के मसौदे को ले कर भूख हड़ताल पर बैठ जाते हैं, तो कभी रामलीला मैदान पर हुई घटना को ले कर, बेचारे बाबा रामदेव तो उनके अनुसरण में ही फंस गए, अन्ना को देख कर बाबा भी काला धन वापस लाने को मुद्दा बना कर बैठ गए धरने पर, बोले १२१ करोर लोग उनके साथ हैं, लेकिन रामलीला मैदान की घटना के बाद तो २१ लोग भी उनके साथ नहीं आये.
      बाबा और अन्ना के क्रिया कलाप देख कर मुझे उस जिद्दी बच्चे के याद आती है जो खिलौना न मिलने पर खाना नहीं खाता है, उस बच्चे को सही और गलत से कोई मतलब नहीं, उसे तो बस खिलौना चाहिए, बेचारे माँ बाप अगर गरीब हों और आर्थिक स्तिथि ठीक न हों तो खिलौना भला कहा से खरीद के दे दें. पहले तो बेटे को सम्झातें हैं की बेटा मान जाओ, खाना खा लो, ये खिलौना अच्छा नहीं है, तुम्हे चोट लग जायगी, बच्चो के खेलने की चीज़ नहीं है, तुम गंदे बच्चे मत बनो खाना खा लो बेटा खाना खा लो,
       लेकिन जब बच्चे को समझ में नहीं आता है, और वो अपनी भूख हड़ताल खत्म नहीं करता है तो माँ बाप उसकी पिटाई कर देते है और मार-मार कर उसे खाना खिला देते हैं, अधिकाँश मामलों में तो जिद्दी बच्चे मार से मान जाते हैं, जो नहीं मानते उन्हें दो दिन बाद ही ये एहसास होता है की मान जाते तो ही अच्छा था, अब खिलौना तो मिलना नहीं है और भूखे अलग से मरे जा रहें हैं.
      लेकिन जब तक माँ बाप मनाने नहीं आयेंगे तब तब तक भला कैसे खाना खा लें, आखिर बच्चे का भी कोई अहं होता है. लेकिन माँ बाप तो अब एक बार मना चुके, अब दुबारा तो मनाने से रहे ,लेकिन तभी कही से चाचा आ जाते हैं , कहते हैं " मै करूँगा मध्यस्ता, मै तुद्वाऊंगा बच्चे की भूख हड़ताल " .बच्चा तो इसी इन्तेज़ार में बैठा था, चाचा जा कर बच्चे को जूस पिलाते हैं और इसी के साथ बच्चे की भूख हड़ताल टूट जाती है, बच्चे का अहं भी रह जाता है, और चाचा का प्यार सबको दिखाई देता है.

शनिवार, 11 जून 2011

ESPN Cricket वेबसाइट पर स्पीक एशिया का विज्ञापन

ESPN Cricket वेबसाइट पर स्पीक एशिया का विज्ञापन देखा जा सकता है
वेबसाइट का एड्रेस है 

इंडियन रेलवे की वेबसाइट पर स्पीक एशिया का विज्ञापन

इंडियन रेलवे की वेबसाइट पर स्पीक एशिया का विज्ञापन  देखा जा सकता है
वेबसाइट का एड्रेस है 
http://www.indianrail.gov.in/pnr_stat.html

सोमवार, 6 जून 2011

जनतंत्र गया भाड़ में, अब देश बाबा और अन्ना के हिसाब से चलेगा , Democracy was go to hell, now run the country according to Baba and Anna

बाबा और अन्ना की मांगे चाहे कितनी ही सही हो लेकिन उनके तरीके को बिलकुल भी सही नहीं ठहराया जा
सकता है, अन्ना और बाबा कोई जन सेवक नहीं हैं और न ही वे जनता द्वारा चुने गए हैं,मीडिया द्वारा जबर्दस्त समर्थन मिलने का फायदा ही केवल वे उठा रहें हैं, अगर उनके हिसाब से सारे नियम कानून बनने लगे तो फिर मेरा भी हक है की मै जैसा चाहता हू वैसा ही कानून बन जाये, आखिर मै किस तरह से अन्ना और बाबा से जुदा हू? मै भी कल अनशन पर बैठ जाऊँगा और अपने हिसाब से कानून की मांग करने लगूंगा लेकिन मेरा साथ कभी भी मीडिया नहीं देगा, क्यों की यहाँ उसको T.R.P.  नहीं मिलेगी,
    
मीडिया को आम आदमी के हित से कोई लेना  देना नहीं है, जो माँगे  बाबा और अन्ना मांग रहे हैं अगर वही माँगे  लेकर आप धरने पर बैठ जाते तो कोई मीडिया आप का समर्थन करने नहीं आता, क्यों की आप से उन्हें T.R.P. नहीं मिलने वाली, बेचारी सरकार बाबा और अन्ना से नहीं, बल्कि पथभ्रस्त मीडिया से डरी हुई है, जनतंत्र का खून हो रहा है और भारत  की मूर्ख  जनता बाबा और अन्ना को अपना महान नेता मान बैठी है,
       किसी को महान बनाना और किसी को नीचे गिराना सब मीडिया के हाथ में है, क्या नसीरुद्दीन साह , अमिताभ बच्चन से कम बड़े अभिनेता हैं ? सच तो ये है की नासिर कई मामले में अमिताभ से बेहतर हैं , अमिताभ मीडिया की देन हैं .
       हाल में स्पीक एशिया वाले मामले को नहीं भूलना चाहिए, जब स्टार न्यूज़ ने मोटिव बना कर स्पीक एशिया पर उल जलूल आरोप लगाये. बाद में सब गलत साबित हुए, लेकिन मीडिया का कुछ नहीं बिगड़ा, हा इतना जरूर हुआ की मीडिया को पहली बार २० लाख लोगो जबर्दस्त विरोध सहना पड़ा, लेकिन स्पीक एशिया को इससे बड़ा नुक्सान हुआ, आखिर इस नुक्सान की भरपाई कौन करेगा.
       कुल मिलाकर मीडिया भारत की जनता को भेड़ बकरियों की तरह जहा जिस दिशा में चाहता है हांक देता है, और सोचने समझने में असमर्थ भारत की जनता उसी तरफ चल देती है, वो ये भूल जाती है की मीडिया में बैठे लोग कोई समाज सेवी या संत आत्मा नहीं हैं , बल्कि वो पूरे तरह से व्यवसायी हैं , जिनका व्यावसायिक हित ही मायने रखता है, मीडिया केवल जनता की भावनाएं अपने हित के लिए भुनाता है.


Baba and asked for Anna but no matter how right their way at all can justify, Anna and Claus are not a public servant nor are they elected by the public, the media only by the great advantage of getting support They're picking up, if their per the rules were to become law, then I have a right as I want to be the same Let the law, after all I am part of how Anna and sage? I will also sit on hunger strike yesterday to demand and its own laws Alghwanga but I will not ever with the media, why it's here TRP Will not be
     
The media has nothing to do with the interests of common people, who are seeking asked Baba and Anna with the same demands if you sit on a dharna to support any media you do not, why you TRP them Not going to, such as Anna Baba and the government, but pathbhrast media is scared of democracy has been murdered and the Indian sage and Anna stupid people value their great leader is sitting
       
Creating a great all media in the hands of a drop down, what Naseeruddin Shah, Amitabh Bachchan at the major actors? Sultan of truth is in many cases are better than Amitabh, Bachchan are media creation.
       
Speak in Asia should not forget the recent case, the Star News to make the motive Speak Asia UL Jlul allegations. After all proved wrong, but the media nothing impaired, HA was so sure the media for the first time 20 million people suffered great opposition, but greater losses Speak Asia, after all, will pay the damage.
       
Overall, like sheep to the media where people of India to the direction in which Hank does, and think would fail to understand the people of India on the same side, he forgets that people sitting in the media of a social service or saint soul, but also the way they are businessmen, whose business interests have the means, the media is just people's feelings Hunat for your interest.

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जीवन में पतन के लिए कुछ किया जाना आवश्यक नही है, कुछ न ही करें और हाथ पे हाथ धरे बैठे रहें तो भी पतन हो जायेगा, जड़ता अपने आप आ जाती है,पर जीवन अपने आप नहीं होता,मृत्यु बिना बुलाये आ जाती है लेकिन जीवन को बुलावा देना होता है - " ओशो "

ध्यान रहे की जो असफल होने की हिम्मत जुटाते हैं, उनके सफल होने की उम्मीद भी है,लेकिन जो असफलता से बच जाते हैं वो सफलता से भी बच जाते हैं, ये दोनों चीज़े साथ साथ हैं - " ओशो "

क्या आप मानते हैं की इलेक्ट्रोनिक मीडिया आज भारत की सबसे भ्रष्ट संस्थाओं में से एक है

स्टार न्यूज़ और अन्य न्यूज़ चैनल्स को लोगो के हितो से कोई लेना देना नहीं है वो केवल अपने व्यवसायिक लाभ और T.R.P. के लिए कार्य करते हैं

अनशन की नीति गलत नीति है, ये हिंसा का ही छदम रूप है, ये लोकतंत्र की हत्या कर देगी, क्या आप इससे सहमत हैं?